अंधेर नगरी/ गोविंद सिंह
यदि आपके मन में कभी यह सवाल उठता हो कि नरक
कैसा होता होगा तो कृपया एक बार सड़क मार्ग से रामपुर- बिलासपुर होते हुए नैनीताल
आइए. बिलासपुर से रुद्रपुर की दूरी महज १८ किलोमीटर है. यदि रेल से आयें तो यह
दूरी दस मिनट में कवर होती है और बस के हिसाब से १६ मिनट का फासला बैठता है. लेकिन
आप यह दूरी एक घंटे से पहले कवर नहीं कर सकते. यदि जाम लग जाए तब भगवान का ही
भरोसा है.
बिलासपुर और रुद्रपुर के बीच सड़क हमेशा खराब
रही है. सरकार चाहे किसी की हो. पहले बहन जी की सरकार होती थी, तब भी सड़क खराब ही
होती थी. जब समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तो लगा था कि शायद अब इस सड़क के दिन
बहुरेंगे. लेकिन अब हाल और भी बदतर हो गया है. पहले सड़क के बीच गड्ढे होते थे, अब
गड्ढों के बीच कहीं-कहीं सड़क तलाशनी पड़ती है. यही नहीं अब ये गड्ढे रामपुर तक फ़ैल
गए हैं. आश्चर्य की बात है कि बार्डर क्रास करते ही यानी उत्तराखंड में दाखिल होते
ही सड़क ठीक हो जाती है. हालांकि इधर उत्तराखंड में भी सडकों का हाल खराब हो चला
है, लेकिन रामपुर- रुद्रपुर रोड जैसा हाल तो कहीं भी नहीं होगा.
इसलिए यदि आप सड़क मार्ग से नैनीताल आ रहे हों
तो कृपया अपना इरादा बदल दीजिए. आपकी कमर तो घायल हो ही जायेगी, सड़क की दुर्दशा
देख आप झुंझला उठेंगे. आप अपना आपा भी खो सकते हैं. कृपया कभी भी किसी गर्भवती
महिला को इस मार्ग से मत भेजी. बहुत रिस्की है. मुंबई से मेरे पत्रकार मित्र अनिल
सिंह सपरिवार हल्द्वानी आये. उन्हें पता नहीं किसने दिल्ली से टैक्सी लेने की सलाह
दे डाली. बिलासपुर- रुद्रपुर रोड ने उन्हें बेहद सदमे की स्थिति में डाल दिया.
बोले एक तो सड़क पर इतने गड्ढे, ऊपर से मुंह चिढाते हुए नेताओं के बड़े-बड़े
होर्डिंग. किसी में होली की बधाई तो किसी में नवरात्र की बधाई. बोले, इन बेशर्मों
को थोड़ी भी शर्म नहीं आती, जो हमें बधाई दे रहे हैं. बेहतर होता कुछ काम करते. होर्डिंग
पर इतना पैसा खर्च करने की बजाय सड़क ठीक करवाने में अपनी ऊर्जा लगाते. यह बात समझ
में नहीं आती कि सड़क का इतना-सा टुकड़ा क्यों हर बार उपेक्षित रह जाता है? उत्तर
प्रदेश सरकार को समझना चाहिए कि यहाँ से गुजरने वाला यात्री, चाहे वह सामान्य
यात्री हो या पर्यटक, कैसी टीस अपने दिल पर लेकर जाता होगा?
मैं यह दावे के साथ कह सकता हूँ कि यदि एक बार
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस मार्ग से अपने ससुराल-प्रदेश में आयें
तो वे इस नारकीय सड़क को देख खुद शर्मसार हो उठेंगे. हो सकता है कि अपने मुख्यमंत्री
होने पर ही वे ग्लानि से भर उठें. और इस्तीफा दे डालें.
हमारी भावनाएं भी आपने व्यक्त कर दीं। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंऐसे दुर्दशाएं हर कहीं हैं। बैनर-होर्डिंगों में तो पैसा खूब खर्च हो रहा है पर कार्यों पर नहीं, बेहद चिंतनीय पड़ताल।
जवाब देंहटाएंbhai sahab saadar- gobind singh ji. wyaktigat silsile me aapki rai chahta tha, ph number jane kahan harch gaya. yadi number sms kar paye tou .
जवाब देंहटाएंvijay gaur, dehradun
9411580467
yah vastav me sarmnak hai UP Sarkar ko road ke halat Theek karani Chahiye
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