हैप्पी न्यू ईयर। एक उद़योग बन गया है आज यह शब्द। पूरे यूरोप–अमेरिका में भी इतने मैसेज नहीं भेजे जाते होंगे जितने भारत में भेजे जाते हैं। पता नहीं इसमें हैप्पी न्यू ईयर के पीछे का भाव कितना होता होगा। बहुत से लोग इसे भी दिवाली के गिफ़ट की तरह एक अवसर मानते हैं, किसी बड़े ओहदेदार से नजदीकी बढ़ाने का।
पिछले साल तक एसएमएसों का जवाब देते-देते मेरी भी अंगुलियां थक जाया करती थीं। तीन-चार दिन तक जितनों के जवाब दे दिए, दे दिए, बाकी को कुछ दिनों बाद मिटा देना पड़ता था। इस चक्कर में कई जेनुइन एसएमएस भी मिट जाते थे। इस बार कुछ कम आए। लोगों को लग गया, अब यह किसी काम का नहीं रहा। वैसे जितने आए, वे वही थे, जो सचमुच मुझे चाहते रहे हैं। फिर भी कई दोस्तों के एसएमएस नहीं लौटा पाया, जिसका मलाल रहेगा। उनसे माफी चाहता हूं।
मुझे उन लोगों से वाकई रश्क होता है, जो हर एसएमएस का तत्काल तीन अक्षर में लघुतम जवाब दे देते हैं। ऐसे लोगों की मैं दाद देता हूं। वे लोग दुनियादार होते हैं। और सफल भी। लेकिन ज्यादा सफल वे लोग होते हैं, जो इस आपाधापी के बावजूद प्यार के दो बोल लिख देते हैं। लेकिन कुल मिलाकर यह है एक यांत्रिक प्रक्रिया ही। आपने एक दिन में 500 लोगों को एसएमएस लिख दिए, कौन सी बड़ी बात है। भाव तो उसमें होता नहीं। एक मजबूरी ही होती है।
हालांकि मैंने ऐसे लोग भी देखे हैं, जो किसी बड़े आदमी के ऐसे तीन अक्षरी भावहीन एसएमएस को भी संभाल कर रखते हैं और अक्सर दोस्तों को दिखाते नहीं थकते। एक दोस्त अमिताभ बच्चन का एक ही एसएमएस बार बार दिखाते रहते हैं। तो एक दोस्त देवानंद का। क्या किया जाए। जो चीज एक आदमी के लिए मजबूरी है, वह दूसरे के लिए उपलब्धि भी बन जाती है। फिर भी मुझे ऐसे लोग बुरे नहीं लगते जो ऐसे एसएमएसों का जवाब नहीं देते। लेकिन मैं उस नई चीज का इंतजार कर रहा हूं, जो एसएमएस का भी तोड़ निकाल कर उसे अप्रासंगिक करार देगी। जैसे एसएमएस ने ईमेल को और ईमेल ने ग्रीटिंग कार्ड को अप्रासंगिक बना दिया है। लेकिन नया साल भी है बड़ी गजब चीज। ---- जारी
पिछले साल तक एसएमएसों का जवाब देते-देते मेरी भी अंगुलियां थक जाया करती थीं। तीन-चार दिन तक जितनों के जवाब दे दिए, दे दिए, बाकी को कुछ दिनों बाद मिटा देना पड़ता था। इस चक्कर में कई जेनुइन एसएमएस भी मिट जाते थे। इस बार कुछ कम आए। लोगों को लग गया, अब यह किसी काम का नहीं रहा। वैसे जितने आए, वे वही थे, जो सचमुच मुझे चाहते रहे हैं। फिर भी कई दोस्तों के एसएमएस नहीं लौटा पाया, जिसका मलाल रहेगा। उनसे माफी चाहता हूं।
मुझे उन लोगों से वाकई रश्क होता है, जो हर एसएमएस का तत्काल तीन अक्षर में लघुतम जवाब दे देते हैं। ऐसे लोगों की मैं दाद देता हूं। वे लोग दुनियादार होते हैं। और सफल भी। लेकिन ज्यादा सफल वे लोग होते हैं, जो इस आपाधापी के बावजूद प्यार के दो बोल लिख देते हैं। लेकिन कुल मिलाकर यह है एक यांत्रिक प्रक्रिया ही। आपने एक दिन में 500 लोगों को एसएमएस लिख दिए, कौन सी बड़ी बात है। भाव तो उसमें होता नहीं। एक मजबूरी ही होती है।
हालांकि मैंने ऐसे लोग भी देखे हैं, जो किसी बड़े आदमी के ऐसे तीन अक्षरी भावहीन एसएमएस को भी संभाल कर रखते हैं और अक्सर दोस्तों को दिखाते नहीं थकते। एक दोस्त अमिताभ बच्चन का एक ही एसएमएस बार बार दिखाते रहते हैं। तो एक दोस्त देवानंद का। क्या किया जाए। जो चीज एक आदमी के लिए मजबूरी है, वह दूसरे के लिए उपलब्धि भी बन जाती है। फिर भी मुझे ऐसे लोग बुरे नहीं लगते जो ऐसे एसएमएसों का जवाब नहीं देते। लेकिन मैं उस नई चीज का इंतजार कर रहा हूं, जो एसएमएस का भी तोड़ निकाल कर उसे अप्रासंगिक करार देगी। जैसे एसएमएस ने ईमेल को और ईमेल ने ग्रीटिंग कार्ड को अप्रासंगिक बना दिया है। लेकिन नया साल भी है बड़ी गजब चीज। ---- जारी
यह भी एक प्रतिष्ठा का विषय होता है कि किसी को कितने sms मिले. नेता को यदि भाषण देने का मौका न मिले और अभिनेता को अभिनय का, तो उनकी हालत रोगी जैसी हो जाती है, अधिकारीवर्ग भी इससे अलग नहीं हैं. sms आते रहें, इसलिए भी जवाब देना जरूरी होता है. मेरी तो यही कामना है कि कम ही संख्या में सही पर आपको असली में चाहने वालो के और उनको आपके sms मिलने का ये सिलसिला बना रहे... फेसबुक ने हालाँकि sms कम करने में भूमिका निभायी है.
जवाब देंहटाएंसर,
जवाब देंहटाएंमैंने भी नहीं भेजा...लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप मेरे लिए काम के नहीं रहे..
उमेश चतुर्वेदी
सर, ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंउमेश जी, जो आपने लिखा है, वही तो मैं कहना चाहता हूँ. एस एम् एस के इस बाजार और उसकी निरर्थकता पर ही मैं कमेन्ट करना चाहता था. गोविंद सिंह
जवाब देंहटाएंगोविंद भाईसाहब। आपका ब्लॉग आज पहली बार देखा। सचमुच बहुत अच्छा लगा। आपके जाने के बाद बहुत अज़ीब सा लग रहा था। एक अरसे से कुछ लिख भी नही पा रही हूँ कुछ चाय के काम से फ़ुर्सत नही मिली कुछ मन ही नही करता। अब लिखूँगी।
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार।
शानू