tag:blogger.com,1999:blog-214435522096949601.post5110350895601684365..comments2024-03-01T00:20:59.919-08:00Comments on हल्द्वानी लाइव Haldwani Live: बेहड़ के मंसूबे क्या हैं?Govind Singh(गोविन्द सिंह)http://www.blogger.com/profile/09817516884809588897noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-214435522096949601.post-77705271815059644862012-02-26T13:00:59.484-08:002012-02-26T13:00:59.484-08:00जन्मगत पहचान पर आधारित कोई भी विभाजन या लामबंदी व्...जन्मगत पहचान पर आधारित कोई भी विभाजन या लामबंदी व्यवस्था के आमूलचूल बदलाव के लिए चल रहे संघर्षों की राह का सबसे बड़ा रोड़ा बनते हैं और इस तरह यथास्थिति के पोषक होते हैं..ऐसी पहचान जाति और धर्म पर आधारित भी हो सकती है, क्षेत्र और भाषा-बोली पर भी..यह तय किया जाना बाकी कि इनमे ज्यादा खतरनाक कौन है??? मुझे बेहड या कौशिक का इस मुद्दे को उछालना उतना आश्चर्यजनक नहीं लगा जितना आप जैसे विद्वान पत्रकार-लेखक-प्रोफेसरों का प्रतिक्रिया में आप खो बैठना..Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-214435522096949601.post-70892481468923120992012-02-26T12:46:58.535-08:002012-02-26T12:46:58.535-08:00गोविन्द जी लगता है आप नैनीताल, भीमताल, चकराता, मसू...गोविन्द जी लगता है आप नैनीताल, भीमताल, चकराता, मसूरी, धनौल्टी वगैरह को भी पहाड में शुमार नहीं करते..क्षेत्रीय पहचान पर आधारित ऐसा संकीर्ण सोच खतरनाक साबित हो सकटा है राज्य के लिए..Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-214435522096949601.post-76277840313118625392012-02-26T12:30:58.048-08:002012-02-26T12:30:58.048-08:00भला हुआ बेहड-कौशिक ने तराई से सी.एम. की ही मांग नह...भला हुआ बेहड-कौशिक ने तराई से सी.एम. की ही मांग नहीं कर दी वरना गज़ब हो गया होता..आखिर परिसीमन आयोग ने तराई-भावर के एक एक व्यक्ति को दो-दो वोट नवाज़ कर उनके हिस्से 36 (?) विधान सभा सीटें कर दीं हैं..भारत के संविधान के साथ इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है न गोविन्द जी?? कल के दिन मूल निवास, जाति प्रमाणपत्र का झगडा भी गहराएगा..आबादी की फ़िक्र मत करें..ज्यादातर विकसित देशों/क्षेत्रों की आबादी की रफ़्तार कम हो ही जाती है..वैसे मानव विकास के जिन सूचकांकों को आप पवित्र मानते हैं उनमे बहुत कुछ शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सेवाओं की प्रति व्यक्ति उपलब्धता पर निर्भर करता है..जमीन का दाम अगर विकास का मानक है तो नैनीताल की मालरोड और देहरादून की राजपुर रोड का विकास सबसे ज्यादा हुआ है, पर रामगढ़ भवाली,भीमताल, नौकुचिआताल को भी कम नहीं कहा जा सकता..इन क्षेत्रों में भी जमीन के दाम राज्य गठन से अब तक 50से 100 गुने तक बढ़ गए हैं..चाहे तो प्रोफ़ेसर साहब से तस्दीक कर लें..वो सत्ता की राजनीति कर रहे हैं सो जनता में व्याप्त हर कुरीति और दकिआनूसी विचार के साथ खड़े दिखकर उसका इस्तेमाल ही करेगे पर समाज के बुद्धिजीवी तबके को सच के साथ खड़े होने का साहस तो दिखाना चाहिए..आखिर लोकतंत्र की पहली शर्त इंसानी बराबरी ही है न और दूसरी न्याय...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-214435522096949601.post-34706393180060564402012-02-23T02:54:50.992-08:002012-02-23T02:54:50.992-08:00एक जागरूक पत्रकार की पैनी नज़र और ओजस्विनि लेखनी ने...एक जागरूक पत्रकार की पैनी नज़र और ओजस्विनि लेखनी ने सचमुच पहाड की सच्ची तस्वीर को जनमानस के सम्मुख रखा है. निर्भीक पत्रकारिता की जितनी तारीफ की जाये उतनी कम है.BCTEWARIhttps://www.blogger.com/profile/02703345289191097836noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-214435522096949601.post-32557647897507715602012-02-22T07:18:16.162-08:002012-02-22T07:18:16.162-08:00Pooran Manral: gobind bhai haldwani live mein aapk...Pooran Manral: gobind bhai haldwani live mein aapki lekhmala padker pravas mein pahad ki yadein tarotaza ho gayeen. kya khoob likha hai aapne ,pahad ke sarokar,pahad ke masle aur pahad mein parisiman ki peeda mein loota aur thaga sa pahad.uttarakhand mein dy c..m.ki wakalat karti maansikta yah wohi maansikta hai jo pahad ko kewal khasotana janti hai,aaj phir pahad ko naye sire se bahas ki zaroorat hai.aap jaise kalamkaraun per iski jimmawari aai hai.kyonki pahad ke bahas ko disha dene aur pahad ke vikas ki dasa tay karwane ka kaam patrakarita ke purodhaon ko hi karna hoga,nahi to pahad ke padtallon mein pahad ke hisse ki loot ki lahlahati faslaun ke beech banjar pahadi gaon aur palayan ka dard bhogta pahad hi nazar aayega.ye taswir badalni hi chahiye,thavi uttarakhand ke banne aur hone ka koi matlab hai.haldwani live ke lekhan se joodkar bahut accha laga.dehradun ki bahsein manas mein jiwant ho uthi hein.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-214435522096949601.post-44683154114483523012012-02-20T00:07:36.738-08:002012-02-20T00:07:36.738-08:00बटरोही: तिलकराज बेहड़ को लेकर लिखी गयी टिप्पणी राज...बटरोही: तिलकराज बेहड़ को लेकर लिखी गयी टिप्पणी राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से गहरे सोचने को विवश करती है और इस बारे में समय रहते किसी न किसी हल की तलाश में बढने का संकेत करती है. अगर समय रहते ऐसा नहीं किया गया तो स्थितियां वश से बाहर हो जाएँगी. यह राज्य एक घुटन भरे भीड़-तंत्र के शिकंजे में चला जायेगा<br />और पहाड़ों से मैदानों की ओर पलायन कर रहे लोग अपने ही परिजनों के दुश्मन बन<br />जायेंगे. बेहड़ या कौशिक जैसे लोग तब अधिक आसानी से पहाड़ियों को उनकी धरती से<br />अपदस्त कर सकेंगे. पहाड़ पूरी तरह उजड़ चुके होंगे, वहाँ के लोग या तो अपने ही<br />लुटेरों के चाकर बन चुके होंगे या उनकी शह पर अपने परिजनों की हत्या कर रहे<br />होंगे. क्या आपको मालूम है कि कुमाऊँ के पहले जातीय नायक कलबिष्ट की हत्या<br />किसने की... उसी के सगे जीजा ने, लखटकिया मधूसुदन पाण्डे के कहने पर. कौन था<br />यह लखटकिया पाण्डे? तराई और कुमाऊँ से नौ लाख की राजस्व उगाहने वाला दीवान.<br />उसे शक हो गया था कि कलबिष्ट पर उसकी पत्नी कमला पंडितायन आसक्त हो गयी थी.<br />कलबिष्ट इतना वीर था कि लखटकिया उसे न सेना से पराजित कर सकता था, न अपनी अकूत समपत्ति से. अंततः उसने कलबिष्ट की सबसे प्रिय बहिन के पति को उत्कोच दिया और उसके जीजा मदन सिंह देवडी ने सोये हुए अपराजेय वीर कलबिष्ट को उसी के<br />कुल्हाड़े से मार गिराया. बेहड़ और मदन कौशिक के बयान उसी इतिहास कि<br />पुनरावृत्ति हैं. हो सकता है की कलबिष्ट की कथा एक किम्वदंती हो, मगर हर<br />किस्से का कोई-न-कोई आधार तो होता ही है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-214435522096949601.post-25020348408275337662012-02-20T00:01:59.768-08:002012-02-20T00:01:59.768-08:00शिव कुमार राय: गोविंद जी.. प्रदेश के ही नहीं देश क...शिव कुमार राय: गोविंद जी.. प्रदेश के ही नहीं देश के राजनीतिक ककहरे में आमूल बदलाव की ज़रूरत है...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-214435522096949601.post-56105043854615254622012-02-19T23:47:23.094-08:002012-02-19T23:47:23.094-08:00अपने देश की राजनीति में विषाणु किस कदर घुस गए हैं....अपने देश की राजनीति में विषाणु किस कदर घुस गए हैं. सचमुच इस प्रदेश के राजनीतिक ककहरे में आमूल बदलाव की जरूरत है.<br /><br />सटीक विश्लेषण,सुन्दर पोस्ट... महाशिवरात्रि की शुभ कामनाएं.Kewal Joshihttps://www.blogger.com/profile/05259895497389545585noreply@blogger.com